Ration card New Rules भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विशेष महत्व है। इस व्यवस्था का मूल आधार राशन कार्ड है, जो देश के करोड़ों गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का एक प्रमुख माध्यम है। वर्तमान में सरकार ने राशन कार्ड व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका उद्देश्य इस प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, कुशल और लाभार्थी-केंद्रित बनाना है।
नवंबर 2024 से लागू की गई नई व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन खाद्यान्न वितरण के पैटर्न में किया गया है। पहले जहाँ लाभार्थियों को असंतुलित अनुपात में चावल और गेहूं दिया जाता था, वहीं अब इसे संतुलित करके समान मात्रा में वितरित किया जा रहा है। सामान्य राशन कार्ड धारकों को अब 2.5 किलो चावल और 2.5 किलो गेहूं प्रदान किया जा रहा है। यह बदलाव विशेष रूप से पोषण संतुलन को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए भी नई व्यवस्था लागू की गई है। पूर्व में जहाँ उन्हें 14 किलो गेहूं और 20 किलो चावल मिलता था, वहीं नई व्यवस्था के तहत अब 17 किलो गेहूं और 18 किलो चावल प्रदान किया जा रहा है। यह बदलाव भी खाद्य पदार्थों के संतुलित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई व्यवस्था का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है ई-केवाईसी की अनिवार्यता। सरकार ने सभी राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया है। पहले इसकी समय सीमा 1 सितंबर थी, जिसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया गया है। यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल प्रणाली में पारदर्शिता लाएगी बल्कि फर्जी राशन कार्डों पर भी अंकुश लगाएगी।
इस नई व्यवस्था के कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। सबसे पहले, यह वितरण प्रणाली में एकरूपता ला रही है। हर लाभार्थी को एक निश्चित और समान मात्रा में खाद्यान्न मिल रहा है, जिससे वितरण में होने वाली अनियमितताओं पर रोक लग रही है। दूसरा, संतुलित आहार की दृष्टि से यह व्यवस्था बेहतर है। चावल और गेहूं का समान वितरण लाभार्थियों के पोषण स्तर को सुधारने में मदद करेगा।
ई-केवाईसी की अनिवार्यता से प्रणाली में पारदर्शिता आएगी और फर्जी लाभार्थियों की पहचान आसान होगी। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म राशन वितरण को और अधिक कुशल बनाएगा। साथ ही, इससे वास्तविक लाभार्थियों को उनका हक मिलना सुनिश्चित होगा।
हालांकि, इस नई व्यवस्था के सफल क्रियान्वयन के लिए कुछ चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में ई-केवाईसी की प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करना। कई दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता और तकनीकी जानकारी की कमी एक बड़ी बाधा हो सकती है।
दूसरी चुनौती है राशन की दुकानों पर उचित मात्रा में स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करना। नई व्यवस्था के तहत वितरण के नए पैटर्न को देखते हुए स्टॉक प्रबंधन में बदलाव करना होगा। साथ ही, दुकानदारों को नई व्यवस्था के बारे में प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है।
सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। राशन की दुकानों पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और लाभार्थियों को नई व्यवस्था की जानकारी दी जा रही है। ई-केवाईसी के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ लोगों को तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
राशन कार्ड व्यवस्था में किए गए ये बदलाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। खाद्यान्न के संतुलित वितरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी के समावेश से न केवल प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि वास्तविक लाभार्थियों को बेहतर सेवा मिल सकेगी।